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मराठी गझल ( Marathi Gazal )
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दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
पान पानात आणि...
पान पानात आणि झाड बहरून
दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
सांज वेळी जेव्हा येई आठव आठव
दूर कोठे मंदिरात होई घंटारव
उभा अंगावर राही काटा सरसरून
दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
न कळत आठवणी जसे विसरले
न कळत आठवणी जसे विसरले
वाटेवर इथे तसे ठसे उमटले
दूर वारी दिसे सूर्य सनई भरून
दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
झाला जरी शिडकावा धुंद पावसाचा
झाला जरी शिडकावा धुंद पावसाचा
आता जरी आला येथे ऋतू वसंताचा
ऋतू हा सुखाचा इथला गेला ओसरून
दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
पान पानात आणि...
पान पानात आणि झाड बहरून
दिस चार झाले मन... हो.. पाखरू होऊन
चित्रपट :- आईशप्पथ...!
गायिका :- साधना सरगम
गीतकार :- सौमित्रा
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मराठी गझल ( Marathi Gazal )
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