रंगपंचमी - Rangpanchami
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मराठी सण / मराठी फेस्टिवल / मराठी फेस्टिवल्स (Marathi San / Marathi Festival / Marathi Festivals)
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होलिकोत्सव - फाल्गुन पौर्णिमा ते फाल्गुन कृष्ण पंचमी (६ दिवस)
ऐतिहासिक पार्श्वभूमी -
द्वापरयुगात गोकुळात बाल/कुमार कृष्ण आपल्या गोपाळसवंगड्यांवर पिचकारीने रंगीत पाणी उडवीत असे व उन्हाची तलखी कमी करीत असे.
पेशवे शुभ्र कपडे घालून केशराचे पाणी एकमेकांवर उडवीत असत.
कुळाचार -
- केशराचे पाणी पिचकारीने देवांवर उडवतात.
- गोड पक्वानांचा नैवेद्य दाखवतात.
फाल्गुन कृष्ण पंचमी या तिथीला रंगपंचमी हा सण साजरा केला जातो. धुलीवंदनापासून सुरू होणार्या वसंतोत्सवाला रंगपंचमीच्या दिवशी पाच दिवस पूर्ण होतात.होळी , धुलीवंदन आणी नंतर येणारी रंगपंचमी.होळीची पार्श्वभुमी आपण सर्वजण जाणतोच. होलिकादहनामधे सर्व वाइट गोष्टी व विचार नष्ट करुन होळीची पुजा होते आणी संध्याकाळी साजुक तुप घातलेल्या गरमागरम पुरण्पोळ्या, खीर, आमटी, भजे, पापड आणखी बरेच काही. या सर्वाचा आनंद मनसोक्त घेणे आणी तोसुद्धा घरातल्या सर्वाबरोबर. प्रत्येक सण आनंद्च घेउन येत असतो घरी. धुलीवंदन आणी रंगपंचमी (आजकाल दोन्हीचा अर्थ एकच) ची तर मजा काही औरच. आयुष्य किती रंगीत आहे याची जाणीव करुन देणारा सण. कडक उन्हामधे गारवा देणारे रंग (अर्थात हर्बल) पाण्याचे फुगे आणी थंडाई वा वाह.. लहान मुलांची तर चांगलीच चंगळ सुरु असते आणी बालपणाचा खरा आनंद देणारा हा सण. मित्रमैत्रिणी नातेवाईक सर्वाशी जवळीक साधुन देणारा हा सण. आमच्याकडे तर मोठा हौद तयार केला जातो आणी अक्षरशः बुडवुन काढले जाते एकेकाला..(थोडं पाणी जपुन वापरा.)
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रंगपंचमी - Rangpanchami
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