मौत डरी थी देखकर उसे
ये खुद मौत का दावा है..
धरती को नाज उस पर
ऐसा एक हि शेर शिवबा है
कड कड करती बिजली
गीरी रण मैदान मे..
एक सितारा आज भी
चमकता है मरहठ्ठो कि
शान मे..
तुफान मे पला वो आँखो
से बरसता अंगारा..
देख के जलवा उसका
पुकारे लहु लहु जंजिरा..
मुगलो का फाड सीना खुन
कि नदियो कि मजधारथा..
खतरो से खेलने वाले
मरहठ्ठो का सरदार था..
राजा था धरती का
प्रजा ने उसे पुकारा था..
डरता कहा था किसी से
खुद मौत को ललकारा था..
जलजला है ऐसा खुदा का
वो नही खुदा उसका बंदा है..
दहेकता हुआ मरहठ्ठो के
सीनो मे वो आज भी जिंदा है..
रणविर शिवरायानां
मानाचा मुजरा...
॥ जय शिवराय ॥
॥ जय भवानी ॥
॥ जय जिजाऊ ॥